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नवंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

यूं ही जहरीली नहीं होती जा रही हवा

जो खबरें हैं वे गायब हैं खबरें गढ़ी जा रही हैं बनाई जा रही हैं किसी के अनुकूल किसी के प्रतिकूल अपनी पसंद की उसकी पसंद की खबर जो होनी चाहिए थी कुछ दंगाइयों ने कर लिया अपहरण खबर वह बन गई जो दंगाई चाहते थे खबर वह बन गई जो आतंकी चाहते थे हर रोज अखबार के पन्नों में खबर के नाम पर परोस दिया जाता है तमाम तरह की गढ़ी गई खबरें ठोक पीटकर बनाई गई खबरें आदेश-निर्देश से लिखी-लिखाई गई खबरें कौन चाहता है इन्हें पढऩा समाचार न विचार केवल एक किस्म का अचार टीवी चैनलों पर बहस का शोर कूपमंडूक लोग फैला रहे होते हैं ध्वनि प्रदूषण बहुत कष्ट और शोक के साथ बंद कर देना पड़ता है टीवी कई-कई दिन नहीं देखते हैं टीवी पर समाचार नहीं देखना और सुनना है झूठ का व्याभिचार सूचना विस्तार के युग में गायब कर दी गई है सूचना हर पल प्रसारित की जा रही है गैरजरूरी गैर वाजिब सूचना सूचना के नाम पर अफवाहों का पैकेज प्रसारित किया जा रहा है अंधाधुंध चौबीस घंटे रिफाइंड करना मुश्किल हो गया है काम की खबरों को शक होने लगा है अखबार में छपी मुस्कराती तस्वीर पर सवाल उठता है कि क्यों हंस रहा है क्