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जुलाई, 2008 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

घर के सपनों पर कुठाराघात

बढ़ती महंगाई से तो सभी त्रस्त हैं लेकिन इस महंगाई ने उन लोगों को बहुत गहरे घाव दिए हैं जिन्होंने बैंक से लोन लेकर अपना आशियाना होने का सपना पूरा किया है। महंगाई सरकार की कुप्रबंधन नीति का परिणाम हो सकती है लेकिन इसकी मार बैंक से कर्ज लेने वालों को अधिक पड़ रही है। एक तरफ बाजार में उनकी जेब खाली हो रही है तो दूसरी ओर बैंक की किस्तें भारी होती जा रही हैं। सवाल उठता है कि इसमें बैंक से कर्ज लेने वालों का या कसूर है? सरकार या इसके अलावा और कोई उपाय नहीं कर सकती? मंगलवार को एक बार फिर रिजर्व बैंक ने पहले से ऊंची ब्याज दरों से त्रस्त कर्जदारों पर एक और चोट की है। मुद्रास्फीति (महंगाई) पर काबू पाने के दबाव में केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा करते हुए रेपो रेट ०.५० फीसदी और सीआरआर ०.२५ फीसदी तक बढ़ाकर ९-९ फीसदी कर दी। इससे होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन और अन्य कर्जे एक फीसदी तक महंगे हो जाने का अंदेशा है। इस फैसले से कुछ होम लोन की ईएमआई में २० फीसदी तक की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। रिजर्व बैंक इस साल सीआरआर में चार बार और रेपो रेट में तीन बार बढ़ोतरी कर चुका है। ३० अगस्त से ल

उदासीन और लापरवाह मानसिकता से बाहर निकलना होगा

पिछले कई महीनों से पंजाब से लेकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश में रेलवे स्टेेशन और धार्मिक स्थल उड़ाने की धमकी भरे पत्र मिलते रहे हैं। एक-दो बार इन पत्रों को गंभीरता से लिया गया लेकिन जब कोई वारदात नहीं हुई तो ऐसे पत्रों को गंभीरता से नहीं लिया जाने लगा। माना जाने लगा तो कि यह तो रोज का काम हो गया है। लेकिन आतंकी हमारी इसी मानसिकता का लाभ उठाते हैं। आज यदि देश में धमाके दर धमाके हो रहे हैं और हमारी सरकार, प्रशासन व समाज असहाय से दिखाई दे रहा है तो इसके पीछे हमारी यही मानसिकता है। हमारी लापरवाह संस्कृति हमारे लिए घातक सिद्ध होती जा रही है। लेकिन हम हैं कि इससे कोई सबक नहीं सीख रहे हैं। सजगता और सतर्कता न तो हमारे समाज में रह गई है और न ही पुलिस प्रशासन और खुफिया एजेंसियों में। यही कारण है कि नापाक इरादे वाले आतंकी जहां चाहते हैं और जब चाहते हैं धमाके कर देते हैं। पिछले कई धमाकों के बाद उसमें संलिप्त लोग पकड़े नहीं गए। जिससे यह साबित होता है कि हमारा खुफिया तंत्र और प्रशासन बुरी तरह से नाकारा हो गया है। विस्फोट करने वालों को तो छोड़िए धमकी भरे पत्र लिखने वालों तक को हमारी पुलिस नहीं पकड़ पाई