मनरेगा का कड़वा सच : मजदूरी करने के बाद भी नहीं मिला था पैसा घटना गोरखुर के रामकोला की है। यहां एक महिला मीरा भोजन और दवा के अभाव में कई दिनों तक तड़पने के बाद मर गई। अब जिलाधिकारी का कहना है कि मीरा की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों पर हत्या का मामला दर्ज कराया जाएगा। यह घटना सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार को तो उजागर करती ही है। हमारे समाज की संवेदनहीनता को भी बताती है। सरकारी तंत्र तो भ्रष्टï है ही समाज की सामाजिकता भी मर गई है। लोग इतने क्रूर होते जा रहे हैं कि उनके सामने ही कोई कई दिनों तक बीमार रहता है। उसके घर भोजन नहीं बनता है और वह देखते रहते हैं। ऐसे लोगों के बारे में सोचकर ही घिन आने लगती है। नेबुआ नौरंगिया ब्लाक के गांव बरवा खुर्द निवासी लालू की ३६ वर्षीया पुत्री मीरा को काफी पहले ससुराल वालों ने ठुकरा दिया था। तंगहाली में दिन गुजार रही मीरा को अप्रैल में मनरेगा के तहत काम मिला तो उसे लगा कि अब उसे दो जून की रोटी नसीब हो जाएगी, लेकिन प्रधान और सेके्रटरी ने धन की कमी बताकर पैसे का भुगतान नहीं किया। पिछले एक महीने से मीरा बीमार थी। सप्ताह भर से उसके घर में चूल्हा नहीं जला था।
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