माओवादी नेता को मारने के चक्कर में आंध्र प्रदेश की पुलिस ने शुक्रवार रात उत्तराखंड के एक युवक को भी मार डाला। स्वतंत्र पत्रकार हेम पांडे की मौत से आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिले में शुक्रवार रात हुई पुलिस और माओवादी मुठभेड़ पर सवालिया निशान लग गया है। साथ यह भी सवाल उठता है कि पुलिस यदि निदोर्षों की जान लेती है तो उसे क्या कहा जाए? देश भर में आए दिन पुलिस फर्जी मुठभेड़ में लोगों को मार गिराती है। जाहिर है कि इसकी प्रक्रिया भी होती है, जोकि स्वाभाविक है। ऑपरेशन ग्रीन हंट के नाम पर पुलिस और सुरक्षा बल यदि निर्दोष लोगों को मार रहे हैं तो समय समय पर उसकी प्रतिक्रिया भी होती है। जवाब में पुलिस और सुरक्षा बल के जवान भी मारे जाते हैं। हालांकि इसे सही नहीं कहा जा सकता लेकिन जब पुलिस और सुरक्षा बल के जवान निर्दोष लोगों को मारते हैं तो उसे भी उचित नहीं कहा जा सकता।
आंध्र प्रदेश की कथित पुलिस मुठभेड़ में भाकपा (माओवादी) के प्रवक्ता चेरुकरी राजकुमार उर्फ आजाद के साथ उत्तराखंड के युवक हेम पांडे के मारे जाने से कुमाऊं के लोग स्तब्ध हैं। कथित मुठभेड़ पर सवाल उठाते हुए उत्तराखंड लोक वाहिनी के अध्यक्ष डा.शमशेर सिंह बिष्ट ने मुठभेड़ की जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मुठभेड़ में पिथौरागढ़ जिले के देवलथल निवासी पत्रकार हेम पांडे के मारे जाने से साफ है कि यह मुठभेड़ फर्जी थी और पुलिस ने हेम पांडे की हत्या की है।
देवलथल निवासी हेम पांडे (३२) वर्ष १९९४ में आइसा से जुड़े। उन्होंने आइसा के बैनर पर १९९४ और १९९६ में पिथौरागढ़ डिग्री कालेज छात्रसंघ के महासचिव का चुनाव लड़ा। दोनों ही बार जीत नहीं सके थे। वर्ष २००० में आइसा के साथ वैचारिक मतभेद होने के कारण हेम पांडे ने आल इंडिया प्रोग्रेसिव स्टूडेंट एसोसिएशन ज्वाइन कर ली। वह लंबे समय तक अल्मोड़ा में इस संगठन की गतिविधियों को संचालित करते रहे। अर्थशास्त्र से एमए हेम पिछले वर्ष पिता प्रयाग दत्त पांडे के निधन के समय अपने गांव देवलथल गए थे। हेम पांडे का विवाह आठ वर्ष पूर्व बबीता से हुआ था। उनकी कोई संतान नहीं है। हेम इस समय दिल्ली में स्वतंत्र पत्रकारिता कर रहे थे। उनकी पत्नी बबीता भी दिल्ली में ही हैं। परिजनों के अनुसार हेम पांडे तीस जून को घर से दिल्ली गए थे। वह नागपुर जाने की बात कहकर गए थे। इसके बाद से जब उनसे संपर्क नहीं हो सका तो परिजनों ने शुक्रवार को हल्द्वानी कोतवाली में उनकी गुमशुदगी दर्ज कराई थी।
टिप्पणियाँ
आँध्रा पुलिस केवल माओदियो को मारे या खा जाऐ पर आम नागरिकोँ के साथ ऐसा न करे ।
।
->सुप्रसिद्ध साहित्यकार और ब्लागर गिरीश पंकज जी का साक्षात्कार पढने के लिऐ यहाँ क्लिक करेँ