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कर्मचारियों को नींबू की तरह निचोडऩे जा रही मोदी सरकार

साल २०१४ के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी जन सभाओं में अकसर यह कहते थे कि मैं आपके सपनों को पूरा करूंगा। उन्हें सत्ता में आए तीन साल से अधिक हो गए हैं लेकिन उन्होंने देश के किस आदमी के कौन से सपने को पूरा किया है यह तो वही जानता होगा जिसके पूरे हुए होंगे। यह एक हकीकत है कि यह सराकर लगातार जनविरोधी नीतियों को लागू करती जा रही है। नोटबंदी से लेकर जीएसटी तक ऐसे फैसले लिए हैं जिससे न केवल लाखों लोगों की नौकरी चली गई बल्कि कारोबार तक बंद हो गए हैं। नई नौकरियों का सृजन नहीं होने से रोजगार के अवसर भी कम हो गए हैं। इसी बीच मोदी सरकार ने एक ऐसा कानून लाया है जो कर्मचारी और मजदूर विरोधी है। इस कानून के बाद कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को ही खत्म कर दिया गया है। यह ऐसा कानून है जिसके बाद कर्मचारियों और मजदूरों को एक तरह से बंधुआ बना दिया जाएगा। जिसके पास पैसा होगा वह लोगों ने से मनमाने तरीके से काम करा सकेगा। कारखानों से लेकर दफ्तरों तक और बंदरगाहों से लेकर रेल तक में भी काम के घंटे से लेकर दिहाड़ी मजदूरी तक काम कराने वाले तय करेगा। वह जब चाहे किसी को काम पर रखे और जब