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कुपोषण के समुद्र में करोड़पतियों का टापू


कुपोषण के समुद्र में करोड़पतियों का टापू
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ओमप्रकाश तिवारी
हमारे देश की अर्थव्यवस्था त्रिस्तरीय है। जातियों में बंटे होने की वजह से सामाजिक व्यवस्था में कितने स्तर है कहा नहीं जा सकता। इसका आकलन समाजशास्त्री भी शायद ही कर पाएं। अमूमन अर्थशास्त्री मानते हैं कि हमारे देश में दो देश हैं। एक इंडिया, जिसे आजकल न्यू इंडिया कहा जा रहा है। दूसरा भारत। जो हिंदी सहित दूसरी स्थानीय भाषाओं के साथ जिंदगी की जद्दोजहद करते हुए जीते और आगे बढ़ते है। लेकिन यह आधा सच है। इस देश में एक तीसरा देश भी बसता है। इसका जिक्र मैंने अपने उपन्यास अंधेरे कोने में किया है। यह है भैया का भाईंग। इसमें स्थानीय बोली बोलने वाले मजदूर, किसान और उपेक्षित लोग बसते हैं। यह न्यू इंडिया से दूर भारत के थोड़ा करीब निवास करते हैं।
त्रिस्तरीय अर्थव्यवस्था वाला हमारा देश करोड़पतियों की संख्या और उनके विकास के मामले में एशिया प्रशांत देशों में सबसे आगे है। साल 2016-17 के दौरान भारत में करोड़ पतियों की संख्या 20 फीसदी और उनकी संपत्ति 22 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ी है। यह आकलन कंसल्टेंसी केपजेमिनी ने किया है। आंकड़े 28 नवंबर 2018 को जारी किया है। यहा करोड़ पतियों से मतलब उनसे है जिनके पास कम से कम एक मिलियन डॉलर यानी 7 करोड़ रुपये की संपत्ति है। एशिया प्रशांत क्षेत्र में जपं के अमीरों के पास सबसे ज्यादा 541 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है। दूसरे स्थान पर चीन के अमीर हैं, जिनकी कुल संपत्ति 454 लाख करोड़ रुपये है। एशिया के सभी अमीरों की संपत्ति 2017 में 1512 लाख करोड़ रुपये थी जो कि 2010 की तुलना में दोगुनी है। 2025 तक इसके दोगुनी होकर 3 हजार लाख करोड़ रुपये हो जाने की संभावना है। पिछले साल दुनिया भर में अमीरों की संपत्ति में जो इजाफा हुआ उसमे 41.4% एशिया फैसिफिक का था।
यह एक तस्वीर है। हमारे देश सहित पूरे एशिया की। अब एक दूसरी तस्वीर देखिए। एक रिपोर्ट के अनुसार कुपोषण में भारत विश्व में नंबर एक है। पाक से भी चार गुना ज्यादा हैं यहां अविकसित बच्चे। समाचार एजेंसी पीटीआई लिखती है कि भारत इस समय कुपोषण के खतरनाक स्तर से जूझ रहा है। विश्व में स्टंटिड (कुपोषण के कारण अविकसित रह जाने वाले) बच्चों में करीब 31 फीसदी हिस्सेदारी भारत की है। इस मामले में भारत विश्व में नंबर एक स्थान पर है। यहां तक कि बाल विकास में गड़बड़ी के मामले में भारत का चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान भी उससे चार गुना पीछे है। यह दावा 29 नवंबर को पेश की गई एक वैश्विक पोषण रिपोर्ट-2018 में किया गया है।
इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के अध्ययन पर आधारित इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर 5 साल से कम उम्र के 15.08 करोड़ बच्चे स्टंटिड और 5.05 करोड़ बच्चे वैस्टिड (वजन में उम्र के हिसाब से कमी) का शिकार हैं। कुपोषण के कारण ओवरवेट होने की समस्या के शिकार 3.83 करोड़ बच्चों में 10 लाख से ज्यादा की संख्या रखने वाले दुनिया के 7 देशों में भी भारत शामिल है। इस लिस्ट में अन्य देश अमेरिका, चीन, पाकिस्तान, मिस्र, ब्राजील और इंडोनेशिया हैं।
दुनिया के 141 देशों में किए गए विश्लेषण पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार, करीब 88 फीसदी यानि 124 देश कुपोषण की किसी न किसी एक स्थिति के अवश्य शिकार पाए गए हैं।
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क्या हैं स्टंटिड व वैस्टिड
बता दें कि स्टंटिड या उम्र के हिसाब से कम लंबाई की समस्या लंबे समय तक पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलने और लगातार इंफेक्शन का शिकार होने के कारण होती है, जबकि वैस्टिड या लंबाई के हिसाब से बेहद कम वजन की समस्या भुखमरी का पुख्ता संकेत मानी जाती है। वैस्टिड को 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्युदर का बड़ा कारण माना जाता है।
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स्टंटिड बच्चों में टॉप-3
देश शिकार बच्चे
भारत 4.66 करोड़
नाइजीरिया 1.39 करोड़
पाकिस्तान 1.07 करोड़
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वैस्टिड बच्चों में टॉप-3
देश शिकार बच्चे
भारत 2.55 करोड़
नाइजीरिया 34 लाख
इंडोनेशिया 33 लाख

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