हमारे देश की उच्च शिक्षा व्यवस्था नागरिकों का किस तरह से शोषण कर रही है इसकी एक झलक एचएसबीसी वैश्विक सर्वेक्षण में देखने को मिलती है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में माता-पिता अपने बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए पैसे जोड़ने के वास्ते छुट्टियों में भी काम करते हैं। वे अपने बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए बैंक से कर्ज भी लेते हैं। 49 प्रतिशत भारतीय माता-पिता समय से अतिरिक्त घंटे काम करते हैं और अपने बच्चों की यूनिवर्सिटी की फीस भरने के लिए दूसरी नौकरी करते हैं। सवाल उठता है कि लोग ऐसा करने को विवश क्यों हैं? दरअसल, उच्च शिक्षा के निजीकरण ने इसे लोगों से दूर कर दिया है। आम आदमी तो अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने की सोच भी नहीं सकता है। यही वजह है कि सरकार कौशल विकास जैसे कार्यक्रमों पर जोर दे रही है। इस तरह सरकार लोगों को ऐसी योजनाओं में उलझा कर अपने दायित्व से दूर हो जाती है। यही नहीं एक खास समुदाय को कमाई और मलाई खाने का मौका देना भी होता है। एचएसबीसी वैश्विक सर्वे में भारत सहित 15 देशों में 10,000 माता-पिता और 1,500 छात्रों की शिक्षा पर किए गए सर्वे में दावा किया गया है कि भ
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