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गिरते शेयर बाजार में डूबते लोग



बिना आधार के सपनों का ऐसा ही ध्वंस होता है

शेयर बाजार से मुनाफा कमाने वाले आजकल मुश्किल में हैं। अमेरिका के कुछ बैंकों के दिवालिया होने तथा बिक जाने के कारण पूरी दुनिया के शेयर बाजारों में हाहाकार की स्थिति है। वैसे तो वैश्विक मंदी का रोना रोया जा रहा है, लेकिन अधिक असर शेयर बाजारों पर ही दिखाई दे रहा है। शेयर बाजार के दम पर अपनी वित्तीय पूंजी बढ़ाने वाली कंपनियों को कराे़डों-अरबों का नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं इस आंधी से आम निवेशक भी परेशान है। उसे भी काफी घाटा हुआ है।
सोमवार यानी छह अ तूबर २००८ को मंुबई शेयर बाजार ७२४ अंकों की गिरावट के साथ ११८०१ अंकों पर बंद हुआ। बताते हैं कि जनवरी २००८ के उच्चतम स्तर से अब तक ४३ फीसदी की गिरावाट सेंसे स में दर्ज हो चुकी है।
विश्लेषकों को अश्चर्य हो रहा है कि अमेरिकी सरकार द्वारा ७०० अरब डालर का राहत पैकेज घोषित किए जाने के बावजूद शेयर बाजारों में रौनक यों नहीं लौट रही है। इसी तरह अधिकतर निवेशक भी हैरान हैं।
दरअसल, जिस तरह से कई अमेरिकी बैंकों की हालत एकदम से खराब हुई उससे निवेशक सकते में हैं। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि ऐसा भी हो सकता है। एक देश जो पूरी दुनिया को सलाह देता फिर रहा हो, जिसकी नीतियों का अमल दूसरे देश जाने-अनजाने कर रहे हों, उस देश की नीतियां इस तरह से फेल हो जाएंगी इस पर कोई यकीन नहीं कर पा रहा है। हालांकि जिस नीति का अगुवा अमेरिका बनता है देर-सवेर उसकी यही परिणति होनी थी। इसी साल केशुरूआत में जब मंुबई स्टाक ए चेंज में जबरदस्त उछाल आ रही थी तो उसका कोई आधार नजर नहीं आ रहा था। हमारी अर्थव्यवस्था में कहीं से भी ऐसे संकेत नहीं थे कि शेयर बाजार इस तरह से कुलाचे भरे। लेकिन तब इस मामले पर कोई सोचने को तैयार ही नहीं था। निवेश के लिए सलाह देने वाले लोगों को भ्रमित कर रहे थे। कुछ विश्लेषक भी निवेशकों को गुमराह करने में लगे थे। हालांकि उस समय भी कई आर्थिक विश्लेषक यह कह रहे थे कि बाजार में आई तेजी एक बुलबला है। निवेशकों को सावधान रहने की जरूरत है। लेकिन शेयर बाजार के अधिकतर निवेशकों में धैर्य और सतर्क रहने की आदत नहीं होती। यह निवेशक कम पूंजी से, कम समय में अधिक मुनाफा कमाने का ख्वाब लेकर शेयर बाजार में आता है। यही कारण है कि कुछ निवेशक यदि कमाते हैं तो अधिकतर डूब जाते हैं।
भारतीय शेयर बाजार में आई तेजी का बहुतों ने लाभ उठाया, लेकिन बहुतों ने गंवाया भी है। परंतु यह शेयर बाजार का नियम है। खासकरके तब जबकि हमारा बाजार अमेरिकी बाजार से जु़डा हो। आज यदि अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट आती है तो भारत का शेयर बाजार ढह जाता है। शेयर बाजार में किस बात पर उतार-चढ़ाव हो जाएगा कहा नहीं जा सकता। कई तरह के कारक एक साथ काम कर रहे होते हैं। निवेशक एक-दो कारकों को समझ सकता है। लेकिन सभी कारकों का सटीक विश्लेषण संभव नहीं है। ऐसे में बाजार के उतार-चढ़ाव का नफा-नुकसान निवेशकों को होना लाजिमी ही है।
सातवीं या आठवींं कक्षा में एक कहानी पढ़ी थी। कहानी का लेखक कौन है आज याद नहीं है, लेकिन इतना पता है कि कहानी का नायक शेयर बाजार में धन लगाने के कारण कंगाल हो गया था। एक समय का अमीर आदमी अचानक सड़क पर आ गया था। तभी से शेयर बाजार को लेकर एक सतर्कता मन में आ गई थी। यह धारणा भी बन गई थी कि यह अच्छी जगह नहीं है, लेकिन आज उदारीकरण के दौर में अधिकतर मध्यमवर्गीय लोगों के लिए शेयर बाजार जिंदगी का एक पहलू सा बन गया है। यही कारण है कि शेयर बाजार की छींक से इसके निवेशकों को बुखार हो जाता है।
देखा जाए तो शेयर बाजार और लाटरी में कोई खास फर्क नहीं है। दोनों मेंं कुछ लोग लुटते हैं तो कुछ लखपति-कराे़डपति और अरबपति बन जाते हैं। इन दोनों व्यवस्थाआें को कुछ लोग अच्छा नहीं मानते, लेकिन कुछ लोग दोनों में हाथ आजमाते हैं। जिसका वह खामियाजा भी भुगतते हैं। लेकिन सवाल वहीं है कि जब आप इसके चरित्र से वाकिफ हैं तो हाय-हाय यों?
शेयर बाजार को अर्थव्यस्था का मानक नहीं माना जा सकता। जो लोग मानते हैं वह खुद और दूसरों को भी भ्रम में डालते हैं। अर्थव्यवस्था में खराब प्रदर्शन के बावजूद शेयर बाजार में उछाल दर्ज किया जा सकता है। इसी तरह अर्थव्यवस्था में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद शेयर बाजार धराशायी हो सकता है। इसकी गिरावट से अर्थव्यवस्था पर खास फर्क नहीं पड़ता। इसी तरह जब शेयर बाजार उछल रहा होता है तब भी आम आदमी की सेहत पर इसका खास फर्क नहीं पड़ता। उतार और चढ़ाव में प्रभावित निवेशक ही होते हैं। वैसे भी यहां पर अधिकतर काले धन को ठिकाने लगाया जाता है। ऐसे निवेशकों पर आप भरोसा कैसे कर सकते हैं? यही नहीं ऐसे निवेशकों के बाजार पर आप कितना भरोसा कर सकते हैं? कहा जा सकता है कि बिना आधार के सपनों का ऐसा ही ध्वंस होता है।

टिप्पणियाँ

makrand ने कहा…
bahut acci rachana
mera post bhi dekehn
share se sabandhit hey
do comment if u feel ok
makrand-bhagwat.blogspot.com
regards
बेनामी ने कहा…
तब लोग सोच रहे थे कि एक के दो या पांच बन रहे हैं तो बहते पानी में डुबकी लगा लो लेकिन भ्रम के मायाजाल का तिलिस्‍म जब टूटता है तो ऐसा ही होता है।

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