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तेल का खेल





सिन्धु झा


ऊर्जा सुरक्षा के नाम पर अभी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेल का खेल जारी रहेगा। तेल की कीमतें बढ़ने के लिए अमेरिका की खाड़ी राजनीति तो जिम्मेवार है साथ ही तेल को एक हथियार के रूप में भी अमेरिका इस्तेमाल कर रहा है। पश्चिमी देश भारत और चीन जैसे विकासशील देशों के खिलाफ इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, ताकि दोनों देश विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़कर चुनौती न दे सकें। जानकारों का कहना है कि विश्व स्तर पर मौजूदा मूल्य वृद्धि भारत और चीन पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। भारत सालाना १२_कराे़ड टन कच्चे तेल का आयात करता है। लगभग इतना ही चीन भी आयात कर रहा है। इस समय अमेरिकी, ब्रिटिश, फ्रेंच, जर्मन और रूसी कंपनियों का सिंडीकेट कच्चे तेल की कीमतों को तय करते हैं। न्यूयॉर्क_कमोडिटी_ए सचेंज (निमे स)_में कच्चे तेल का वायदा कारोबार होता है, जिसका लाभ बिचौलिये उठाते हैं। सिंडीकेट बाजार में तेल की कमी दिखाने के लिए कम माल खरीदते हैं और उसे ऊंची कीमत में बेचते हैं।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा_ने बताया कि तेल के कारोबार में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रही सट्टेबाजी की वजह से कीमतें बढ़ रही हैं। जब तक सट्टेबाजी पर अंकुश नहीं लगेगा पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें स्थिर नहीं होंगी। कुछ दिनों पूर्व अमेरिकी कंपनी गोल्डमैन_सै स ने कच्चे तेल की कीमत बढ़कर २००_डॉलर प्रति बैरल हो जाने की जो भविष्यवाणी की उसे भी तेल के खेल का एक सुनियोजित हिस्सा माना जा रहा है। चर्चा है कि तेल सिंडीकेट के सुझाव पर ही गोल्डमैन_ने काल्पनिक बयान दिया था। इस रणनीति को गरीब और विकासशील देशों को तेल के नाम पर डराने की कोशिशों के रूप में देखा जा रहा है। तेल आयातक देशों के लिए सर्वाधिक चिंता की बात अभी तक यह है कि जो भी तेल उत्पादक देश हैं उनकी सरकारें पारदर्शी नहीं हैं। सबसे बड़े तेल उत्पादक देश सऊदी अरब में राजशाही_है, तो लीबिया में तानाशाही है। ईरान में धार्मिक कट्टरपंथ हावी है तो इराक एक विफल राष्ट्र बन चुका है। इन देशों की तेल कंपनियों के साथ पश्चिमी सिंडीकेट का 'अनहोली`_यानी अपवित्र सांठगांठ होना बताया जाता है। सूत्रों के अनुसार मौजूदा स्थिति में भारत और चीन में तेल की जितनी खपत बढ़ेगी उसी आधार पर विश्व बाजार में तेल के दाम भी बढ़ाए जाएंगे। पश्चिमी देशों की पूरी कोशिश और दबाव है कि भारत पेट्रोलियम पदार्थों से सब्सिडी पूरी तरह हटाए।

-साभार अमर उजाला

टिप्पणियाँ

Udan Tashtari ने कहा…
पश्चिमी देशों की पूरी कोशिश और दबाव है कि भारत पेट्रोलियम पदार्थों से सब्सिडी पूरी तरह हटाए।

-अतिश्योक्ति सी लगती है यह बात.

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