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दुआ करें कि उन्हें सद्बुद्धि आए

शाम को आफिस पहंुचा तो एक बैरंग पत्र मिला। पत्र पर किसी भेजने वाले का जिक्र नहीं था। एक बार देखकर मन में कई आशंकाएं तैर गइंर्...। पत्र को खोलकर देखा तो गुस्से में दिमाग उबल गया। किसी ने बड़ी वाहियात हरकत की थी। धार्मिक भावना को भुनाने का इतना भ ा मजाक मुझे पसंद नहीं आया। पहले इस तरह के पत्र लोग पम्पलेट की तरह छापकर बांटते थे। और दावा करते थे कि ऐसा करने से उन्हें फायादा हुआ, आप भी ऐसा करें आपको भी लाभ होगा। अब ऐसी मानसिकता के लोग बैरंग पत्र भेजकर इस तरह की हरकत कर रहे हैं। यह एक तरह की धमकी है और ब्लैकमेलिंग भी। ऐसे लोगों को दंडित करने का प्रावधान होना चाहिए?
आप बहुत धार्मिक हैं और धर्म का प्रचार करना चाहते हैं तो अपने दम पर करें। किसी की भावना से यों खेलते हैं? बैरंग पत्र भेजकर और पहचान छिपाकर यों कर रहे हैं? आस्तिकता, नैतिकता और ईमानदारी का तकाजा है कि आप जो कुछ भी करें अपने दम करें, किसी की भावना से खिलवाड़ न करें।
इस तरह के पत्र भेजने वाले केवल भावना से ही नहीं खेलते, बल्कि धमकाते भी हैं। साफ लिखते हैं कि इस पत्र को इतने दिनों में बांटें। अपने पास न रखें, नहीं तो अनर्थ हो जाएगा। यदि भगवान है तो अनर्थ तो इन जैसे लोगों का होना चाहिए। ऐसी बीमार मानसिकता वाले लोगों को लिए दुआ ही करनी चाहिए की उन्हें सद्बुद्धि आए और वे अपना इलाज किसी मनोचिकित्सक से कराएं, ताकि कोई और इनकी हरकत से परेशान न हो।

टिप्पणियाँ

अबरार अहमद ने कहा…
प्रणाम सर। कैसे हैं। आप सब की बहुत याद आती है। आप लोगों से जो कुछ सीखने को मिला वह दोबारा नहीं मिल सकता। खैर जो बात आपने कही है वह बिल्कुल सही है। ऐसे लोगों के खिलाफ कडी कार्रवाई होनी चाहिए जो इस तरह की हरकत करते हैं। यह वाकई में एक तरह की ब्लैकमेलिंग ही है। इसके खिलाफ सबको आगे आना होगा। एक बात और कहना चाहता हूं कि आप नियमित लिखा करें। चाहे कहानी हो या लेख। अच्छा लगता है।

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