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नाना भी दूध के धुल नहीं हो सकते

एक फिल्म में आइटम गीत को लेकर अभिनेत्री तनुश्री ने अभिनेता नाना पाटेकर पर छे़डछाड़ का आरोप लगाया है। इस पर नाना की सफाई है कि तनुश्री बच्ची है और उनकी बेटी के समान है। वह उसके साथ ऐसी ओछी हरकत नहीं कर सकते। फिल्म निर्माता ने तनुश्री को इस फिल्म से बाहर कर दिया है और तनुश्री से हर्जाना मांगा है।
यहां तक तो बात फिल्मी थी। यहां सब चलता भी है। लेकिन अब राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट ्र नवनिर्माण सेना (मानसे)ने तनुश्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। नाना को महाराष्ट ्र का गौरव बताते हुए मानसे ने कहा है कि नाना एक सम्मानित व्यि त हैं। तनुश्री ने उनकी छवि को खराब किया है। उसे नाना से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी होगी। यदि उसने ऐसा नहीं किया तो उसके खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा।
अब इसे या कहा जाए? राजनीति या फिर एक औरत का अपमान? या एक बाहरी को मुंबई से बाहर खदे़डने की मुहिम? बिना शक नाना एक सम्मानित अभिनेता हैं, लेकिन वह बदमिजाज भी कम नहीं हैं। हो सकता है कि उन्होंने तनुश्री को न छे़डा हो, लेकिन ऐसा न किया हो इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता? नाना और फिल्मी दुनिया के चरित्र को देखते हुए तो और भी। वैसे भी फिल्मी दुनिया में औरत की कितनी इज्जत है, यह किसी से छिपा नहीं है। फिल्मों में रोल देने के नाम पर या नहीं होता। हिंदी फिल्मों ने आज औरत की या छवि बनाई है इससे इस दुनिया में काम करने वाले पुरुषों की मानसिकता को समझा जा सकता है। कला के नाम पर नग्नता और रोल देने के नाम पर दैहिक शोषण फिल्मी दुनिया में आम बात है। डांस स्टैप्स के नाम पर अश्लील हरकतें करना फिल्मी कलाकारों की अदात सी हो गई है। ऐसे माहौल में छे़डछाड़ तो अव्वल कोई मु ा ही नहीं है। फिल्मी दुनिया में पुरुष बर्चस्व इतना हावी है कि कोई लड़की चूं तक नहीं कर पाती। जो करती है उसका हाल तनुश्री जैसा हो जाता है। बेशक तनुश्री दूध की धुली नहींं हो सकती लेकिन नाना भी दूध के धुल नहीं हो सकते। मानसे नाना के पक्ष में इसलिए है, योंकि तनुश्री बाहरी है और मुंबई में बाहरी लोगों के विरोध को नाना ने मानसे का समर्थन किया है। इस समर्थन का एहसान मानसे उनका समर्थन करके उतार रही है।

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आजकल तो दूध भी
अपना धुला नहीं मिलेगा.

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