क्या आप जानते हैं कि फ्रांस में आजकल क्या हो रहा है? जो हो रहा है उसका मतलब क्या है? उसका सबक क्या है? किस ओर इशारा कर रहा है? जो लोग सड़क पर उतर कर विरोध कर रहे हैं क्या उन्हें ऐसा करना चाहिए? क्या वह गलत हैं? क्या उनके प्रदर्शन से इतिहास की किसी घटना की याद आती है? क्या इससे पूरे विश्व के लोगों और शासकों को कोई संदेश जाता है? इतने सारे सवालों का जवाब जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि इतिहास अपने आपको तभी दोहराता है जब शासक उसे जीने लगता है। किसी ने दुरुस्त फरफ़ाय है कि इतिहास जीने के लिए नहीं होता है। लेकिन शासक अक्सर इससे सबक नहीं लेते। यह भी कह सकते हैं कि उनका अल्प ज्ञान उन्हें न अतीत से कुछ सीखने देते है न ही भविष्य को लेकर दूरदर्शी होने देता है। ऐसे शासकों को अधिकतर समय क्षुद्रताओं में ही व्यतीत हो जाता है। बहरहाल, यह जानना जरूरी है कि फ्रांस में हो क्या रहा है। हो यह रहा है कि फ्रांस में पेट्रोलियम की बढ़ती कीमतों और महंगाई को लेकर जन आंदोलन चल रहा है, जोकि 2 दिसंबर से हिंसक रूप ले चुका है। राजधानी पेरिस में सड़कों पर उतरे युवा वाहनों और सरकारी इमारतों में तोड़
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